शशांक का अर्थ होता है खरगोश। आसन में व्यक्ति का आकार खरगोश के समान होता है, इसलिए इसे शशांकासन कहते हैं।
 

शशांकासन करने की विधि-  

  • सर्वप्रथम वज्रासन में आइए अर्थात दोनो पैरों को घुटनों से मोड़कर पीछे की ओर नितम्ब  के नीचे रखें और एड़ियों पर बैठ जाएं। हाथों को पीठ के पीछे ले जाइए अब दायें हाथ से बायें हाथ को थामिये।
  • अब कमर से आगे को झुकेंगे और सर को घुटनो के सामने फर्श पर लगायेंगे फिर धीरे से बापिस आएँगे ।
  • साँस निकालते हुए नीचे जाएँगे और साँस लेते हुए वापिस आएँगे 10-20 सेकेंड रोक सकते हैं ।
  • आसन को रोकते समय साँस को भी रोकते हैं।इस क्रिया को 4 से 5 बार करें।

शशांकासन करने की सावधानी- 

  1. अगर आप गर्दन दर्द ,चक्कर , स्‍लिप डिस्‍क, हाई ब्‍लड प्रेशर संबन्‍धी समस्यायें  हैं तो इसे न करें।

शशांकासन करने की लाभ-

  1. दिमाग़ में रक्त संचार ठीक करता है । मेमोरी को तेज करता है, विधयार्थीयों को प्रतिदिन करना चाहिए। आंते, यकृत, अग्न्याशय के रोगिओं के लिए लाभकारी है । कब्ज को दूर करता है । यह आसन पेट, कमर व कूल्हों की चर्बी कम करता है ।गुर्दों को बल प्रदान करता है। इस आसन के नियमित अभ्यास से तनाव, क्रोध, चिड़चिड़ापन आदि मानसिक रोग भी दूर हो जाते हैं। फेफड़े स्वस्थ रहते हैं । हृदय रोगियों के लिए यह आसन अधिक लाभकारी है।

शशक का का अर्थ होता है खरगोश। इस आसन को करते वक्त व्यक्ति की खरगोश जैसी आकृति बन जाती है इसीलिए इसे शशकासन कहते हैं। इस आसन को कई तरीके से किया जाता है यहां प्रस्तुत है सबसे सरल तरीका।

आसन विधि : सबसे पहले वज्रासन में बैठ जाएं और फिर अपने दोनों हाथों को श्वास भरते हुए ऊपर उठा लें। कंधों को कानों से सटा हुआ महसूस करें। फिर सामने की ओर झुकते हुए दोनों हाथों को आगे समानांतर फैलाते हुए, श्वास बाहर निकालते हुए हथेलियां को भूमि पर टिका दें। फिर माथा भी भूमि पर टिका दें। कुछ समय तक इसी स्थिति में रहकर पुनः वज्रासन की‍ स्थिति में आ जाइए।

सावधानी : यदि आपके पेट और सिर में कोई गंभीर समस्या हो तो यह आसन नहीं करें। हाथों को सिर के ऊपर उठाते समय कंधों से उन्हें ऊपर की ओर प्रेस करें जिससे सामने फैलाते समय कोई दिक्कत नहीं होगी।

इसका लाभ : हृदय रोगियों के लिए यह आसन लाभदायक है। यह आसन पेट, कमर व कूल्हों की चर्बी कम करके आंत, यकृत, अग्न्याशय व गुर्दों को बल प्रदान करता है। इस आसन के नियमित अभ्यास से तनाव, क्रोध, चिड़चिड़ापन आदि मानसिक रोग भी दूर हो जाते हैं।


 

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