प्राण और आयाम जैसे दो शब्‍दों से मिलकर प्राणायाम बना है। इस प्राण-शक्ति का प्रवाह व्यक्ति को जीवन शक्ति प्रदान करता है। प्राणायाम करने से हमारे मन और मस्तिष्क में आने वाले बुरे विचार दूर हो जाते हैं, मन में शांति का अनुभव होता है और शरीर की कई बीमारियों का खात्मा होता है। लेकिन प्राणायाम में भी नाड़ीशोधन को प्राणायाम का राजा माना जाता है। ऐसा इसलिए क्‍योंकि नाड़ीशोधन एक प्रभावी प्राणायाम है जो मस्तिष्क, शरीर और भावनाओं को सही रखता है। 'नाड़ी' शब्द का अर्थ है, 'शक्ति का प्रवाह' और 'शोधन' का 'शुद्ध करना'। इसलिए इसका अर्थ वह अभ्यास जिससे शरीर में मौजूद सभी नाड़ियों का शुद्धिकरण होता है। नाड़ीशोधन प्राणायाम से चिंता, तनाव या अनिंद्रा की समस्या से राहत मिलती है। नाड़ीशोधन को अनुलोम-विलोम प्राणायाम के रूप में भी जाना जाता है। इस प्राणायाम की खास बात यह है कि दाएं और बाएं नाक से श्वास-प्रश्वास को रोककर या बिना रोके किया जाता है।

कुछ समय पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए नाड़ीशोधन प्राणायाम के बारे में विस्‍तृत जानकारी दी थी। इस एनिमेटेड वीडियो में उन्‍होंने विस्‍तार से नाड़ीशोधन प्राणायाम के फायदे और करने की विधि के बारे में बताया था। अगर आपको भी योग और प्राणायाम करना पसंद है और आप अपने शरीर को रोगमुक्‍त और मस्तिष्‍क को शांत रखना चाहती हैं तो नाड़ीशोधन प्राणयाम आपके लिए काफी फायदेमंद हो सकता है। आइए इसे करने के तरीके और फायदों के बारे में विस्‍तार से जानें।

नाड़ीशोधन प्राणायाम करने का तरीका


नाड़ीशोधन को करने के लिए सबसे पहले आप सुखासन में बैठ जाएं।

  • आप चाहें तो इसे करने के लिए दूसरे आसन जैसे पद्मासन और वज्रासन में बैठकर भी कर सकती हैं।
  • घुटनों में दर्द के कारण जो महिलाएं इसे जमीन पर बैठकर नहीं कर सकती हैं, वह चेयर पर बैठकर इसे आसानी से कर सकती हैं।
  • सुखासन में बैठते समय यह सुनिश्चित करें कि आपकी रीढ़ एकदम सीधी, दोनों हथेलियां घुटनों पर और आंखे बंद होनी चा‍हिए।
  • अब कुछ गहरी सांसें लेकर शरीर को आराम की स्थिति में लेकर आएं।
  • नाड़ीशोधन करते समय अपनी बाएं हथेली को ध्‍यान मुद्रा में लाने के लिए अपनी तर्जनी और अंगूठे को जोड़ते हुए एक गोल आकार दें।
  • बाकी उंगलियों को खुला रखें।
  • अब दाई हथेली को नासाग्र मुद्रा में लाने के लिए मध्‍यमा और तर्जनी उंगली को मोड़कर बंद करें और बाकी को खुला ही छोड़ दें।
  • अब नासाग्र मु्द्रा में रखी अपने दाएं हथेली के अंगूठे को अपनी दाई नाक पर रखकर नाक को बंद कर लें।
  • बाई नाक से सांस अंदर की ओर लें।
  • अब बाई नाक को अनामिका और कनिष्‍ठा उंगलियों की मदद से बंद कर लें और दाई नाक से सांस बाहर छोड़ें।
  • फिर अपनी दाई नाक से सांस भीतर लें और उसे अंगूठे से बंद करके बाई नाक से खोलकर सांस बाहर छोड़ें।
  • यह नाड़ीशोधन प्राणायाम या अनुलोम-विलोम का एक चक्र है। ऐसा कम से कम 5 चक्र में दोहराएं।

नाड़ीशोधन प्राणायाम के फायदे


तनाव और एंजाइटी को कम करके प्राणशक्ति को बढ़ाता है।

  • नाड़ीशोधन का मुख्‍य उद्देश्‍य शरीर में ऊर्जा का वहन करने वाली सारी नाडियों का शुद्धिकरण करके पूरे शरीर का पोषण करना है।
  • नाड़ीशोधन हार्ट के रोगियों के लिए बहुत अच्‍छा होता है।
  • नाड़ीशोधन कफ संबंधी विकारों को भी दूर करता है।
  • चित्त को शांत और एकाग्रता को बढ़ाता है।
  • नियमित रूप से नाड़ीशोधन जीवनशक्ति को बढ़ाता है, यह तनाव को कम करके जीवन स्‍तर को बेहतर बनाता है।
  • ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर करता है, फेफड़ों को ठीक रखता है और डाइजेस्टिव सिस्‍टम को दुरुस्त करता है।


सावधानी

जो लोग नाड़ीशोधन का अभ्‍यास पहली बार कर रहे हैं उनके सांस लेने और छोड़ने का समय सामान्‍य होना चाहिए और कोशिश करनी चाहिए कि जितना समय हम सांस लेने में लगाते हैं, उससे दोगुना समय इसे छोड़ने में भी लगाना चाहिए। सांस धीमी, स्थिर और निरंतर होनी चाहिए। साथ ही इस बात का भी ध्‍यान रखें कि गॉर्डन या घर के शुद्ध वातावरण में ही इसका अभ्यास करें।

अगर आप भी कोरोना वायरस के दौरान खुद को फिट रखकर कफ रोगों से बचना चाहती हैं तो इसे अपने रूटीन में शामिल कर सकती हैं। योग से जुड़ी अन्‍य जानकारी पाने के लिए हरजिंदगी से जुड़ी रहें।


 

Yoga with Modi : Nadi Shodhan Pranayam Hindi